आधुनिक रसोईयों में चमचमाते स्टील और रंग-बिरंगे प्लास्टिक के बर्तनों का बोलबाला है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे पूर्वजों द्वारा सदियों से इस्तेमाल किए जाने वाले मिट्टी, पीतल, तांबे और कांसे के बर्तनों में सिर्फ परंपरा ही नहीं, बल्कि कई स्वास्थ्य लाभ भी छिपे हुए हैं? ये पारंपरिक बर्तन न सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ाते हैं, बल्कि शरीर को जरूरी पोषक तत्व भी प्रदान करते हैं। आइए, इन खास बर्तनों के फायदों को थोड़ा और गहराई से जानते हैं:
1. मिट्टी के बर्तन – प्रकृति का स्पर्श
हमारे पूर्वज सदियों से मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल करते आए हैं। ये बर्तन न सिर्फ पर्यावरण के अनुकूल होते हैं बल्कि इनमें पका हुआ भोजन स्वादिष्ट और स्वास्थ्यप्रद होता है। मिट्टी के बर्तन भोजन को धीमी आंच पर पकाते हैं, जिससे पोषक तत्व नष्ट नहीं होते और भोजन को प्राकृतिक मिट्टी का स्वाद मिलता है।
- पोषण का खजाना: मिट्टी के बर्तनों में पकाने से भोजन में प्राकृतिक रूप से मौजूद कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस और आयरन जैसे खनिज तत्व घुल जाते हैं। ये तत्व हड्डियों को मजबूत बनाने, पाचन क्रिया को दुरुस्त रखने और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करते हैं।
- स्वाद में निरालापन: मिट्टी के बर्तन भोजन को धीरे-धीरे और समान रूप से पकाते हैं, जिससे भोजन का स्वाद और सुगंध बरकरार रहते हैं। दाल, सब्ज़ी और खीर जैसी चीज़ें मिट्टी के बर्तनों में पकाने से ज़्यादा स्वादिष्ट बनती हैं।
- अल्कलाइजिंग प्रभाव: मिट्टी स्वभाव से क्षारीय (alkaline) होती है। भोजन पकाने के दौरान मिट्टी का ये क्षारीय गुण भोजन में भी आ जाता है, जो शरीर के अम्ल-क्षार (pH) संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है।
2. पीतल के बर्तन – एंटी-बैक्टीरियल गुणों का खजाना
पीतल के बर्तनों का इस्तेमाल सदियों से भारतीय रसोईघरों की शान रहा है। पीतल की चमक न सिर्फ आकर्षक होती है बल्कि इसमें कई स्वास्थ्य लाभ भी छिपे हैं।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं: पीतल में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं। पीतल के बर्तनों में खाना पकाने या पानी रखने से भोजन और पानी में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया मर जाते हैं, जिससे पाचन संबंधी रोगों का खतरा कम होता है।
- पोषण का दोहरा लाभ: पीतल के बर्तनों में खाना पकाने से भोजन में थोड़ी मात्रा में तांबा और जस्ता जैसे खनिज घुल जाते हैं। ये खनिज शरीर के लिए आवश्यक होते हैं और पाचन, रोग प्रतिरोधक क्षमता और घाव भरने की प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाते हैं।
- खुल का ज़ायका: पीतल के बर्तनों में पका हुआ भोजन एक खास चमक के साथ आता है। खासकर, दाल और खीर जैसी चीज़ें पीतल के बर्तनों में पकाने से ज़्यादा स्वादिष्ट और आकर्षक लगती हैं।
3. तांबे के बर्तन – तंदुरुस्ती का प्रतीक
तांबे के बर्तन आयुर्वेद में भी अपने औषधीय गुणों के लिए जाने जाते हैं। तांबे के बर्तनों का इस्तेमाल न सिर्फ खाने के लिए बल्कि पानी रखने के लिए भी किया जाता है।
- पानी को शुद्ध करें: तांबे में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल गुण होते हैं। तांबे के बर्तन में पानी रखने से पानी में मौजूद हानिकारक सूक्ष्मजीव मर जाते हैं और पानी शुद्ध हो जाता है।
- पाचन क्रिया मजबूत करें: तांबे में पाए जाने वाले एंजाइम पाचन क्रिया को मजबूत बनाने में मदद करते हैं। तांबे के बर्तन में पानी पीने से अपच, गैस और कब्ज जैसी समस्याओं से राहत मिलती है।
- वजन कम करें: तांबे के बर्तन में पानी पीने से शरीर में जमा हुआ अतिरिक्त वसा कम होता है। तांबा शरीर के चयापचय (metabolism) को बढ़ाने में मदद करता है, जिससे वजन कम करने में सहायता मिलती है।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं: तांबा शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है। तांबे के बर्तन में पानी पीने से शरीर में संक्रमण का खतरा कम होता है।
4. कांसे के बर्तन – खाने का स्वाद और स्वास्थ्य
कांसे के बर्तन भी सदियों से भारतीय रसोईघरों का हिस्सा रहे हैं। कांसे के बर्तनों में पका हुआ भोजन न सिर्फ स्वादिष्ट होता है बल्कि इसमें कई स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं।
- एंटी-ऑक्सीडेंट गुण: कांसे में एंटी-ऑक्सीडेंट गुण होते हैं। कांसे के बर्तनों में पका हुआ भोजन शरीर में मुक्त कणों (free radicals) को नष्ट करने में मदद करता है, जो कई बीमारियों का कारण बन सकते हैं।
- पाचन क्रिया मजबूत करें: कांसे में पाए जाने वाले खनिज पाचन क्रिया को मजबूत बनाने में मदद करते हैं। कांसे के बर्तनों में पका हुआ भोजन आसानी से पच जाता है और पेट की समस्याओं से राहत मिलती है।
- रक्तचाप नियंत्रित करें: कांसे में पाए जाने वाले खनिज रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। कांसे के बर्तनों में पका हुआ भोजन हृदय स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक होता है।
- हड्डियों को मजबूत करें: कांसे में पाए जाने वाले खनिज हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करते हैं। कांसे के बर्तनों में पका हुआ भोजन ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों से बचाने में मदद करता है।
निष्कर्ष:
आज के दौर में जब हम प्लास्टिक और स्टील के बर्तनों का इस्तेमाल करते हैं, हमें मिट्टी, पीतल, तांबे और कांसे के बर्तनों के स्वास्थ्य लाभों को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। इन पारंपरिक बर्तनों का इस्तेमाल करके हम न सिर्फ स्वादिष्ट और स्वास्थ्यप्रद भोजन का आनंद ले सकते हैं, बल्कि कई रोगों से भी बचाव कर सकते हैं।
यह ध्यान रखना जरूरी है:
- इन बर्तनों को इस्तेमाल करने से पहले अच्छी तरह से धो लें।
- इन बर्तनों में खाने को अधिक देर तक न पकाएं।
- खट्टे पदार्थों को इन बर्तनों में न रखें।
- यदि आपको कोई एलर्जी या स्वास्थ्य समस्या है, तो इन बर्तनों का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से सलाह लें।
**आइए, अपनी रसोई में इन पारंपरिक बर्तनों को जगह दें और स्वस्थ जीवन का आनंद
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